मांगो मत मिल जायेगा

🌷❤️मांगो मत और मिल जाएगा ❤️🌷


यह ज्ञात नहीं है कि अत्‍यंत परंपरागत, सनातन यहूदी घर्म में भी कुछ महान बुद्धत्‍व प्राप्‍त सदगुरू पैदा हुए है। कुछ तो बुद्धत्‍व के पर चले गये। उनमें से एक है बालशेम तोव।
      तोव उसके शहर का नाम था। उसके नाम का मतलब इतना ही हुआ: तोव शहर का बालशेम। इसलिए हम उसके केवल बालशेम कहेंगे। मैंने उस पर प्रवचन दिये क्‍योंकि जब मैं हसीद पंथ के विषय में बात कर रहा था तब मैंने कुछ भी सारभूत बाकी नहीं छोड़ा। ताओ, ज़ेन, सूफी, हसीद, सब पर मैंने बात की। मैं किसी परंपरा का हिस्‍सा नहीं हूं। इसलिए में किसी भी दिशा में जा सकता हूं। मुझे नक्‍शे की जरूरत नहीं है। मैं तुम्‍हें फिर एक बार याद दिला दूँ:
      भीतर आते, बहार जाते।
      पानी का बतख़ कोई चिन्‍ह नहीं छोड़ता।
      न ही उसे मार्ग दर्शक जरूरत है।
      बालशेम तोव ने कोई शास्‍त्र नहीं लिखा। रहस्‍यवाद के जगत में शास्‍त्र एक वर्जित शब्‍द है। लेकिन उसने कई खुबसूरत कहानियां कही है। वह इतनी सुंदर है कि उनमें से एक मैं तुम्‍हें सुनाना चाहता हूं। यह उदाहरण सुनकर तुम उस आदमी की गुणवत्‍ता का स्‍वाद ले सकते हो।
      बालशेम तोव के पास एक स्‍त्री आई, वह बांझ थी। उसे बच्‍चा चाहिए था। वह निरंतर बालशेम तोव के पीछे पड़ी रही।
      आप मुझे आशीर्वाद दें, तो सब कुछ हो सकता है। मुझे आशीर्वाद दें, मैं मां बनना चाहती हूं।''
      आखिरकार तंग आकर—हा, सतानें वाली स्‍त्री से बालशेम तोव भी तंग आ जाते है—वे बोले, बेटा चाहिए की बेटी।
      वह बोली—'' निश्‍चय ही बेटा चाहिए''
      बालशेम तोव ने कहा तो फिर तुम यह कहानी सुनो। मेरी मां का भी बच्‍चा नहीं था। और वह हमेशा गांव के रबाई के पीछे पड़ी रहती थी। आखिर रबाई बोला, एक सुदंर टोपी ले आ।
      मेरी मां ने सुदंर टोपी बनवाई और रबाई के पास ले गई। वह टोपी इतनी सुदंर बनी कि उसे बनाकर ही वह तृप्‍त हो गई। और उसने रबाई से कहा, ''मुझे बदले में कुछ नहीं चाहिए।'' आपको इस टोपी में देखना ही अच्‍छा लग रहा है। आप मुझे धन्‍यवाद दें, मैं ही आपको ही आपको धन्‍यवाद दे रही हूं।''
      ''और मेरी मां चली गई, उसके बाद वह गर्भवती हो गई। और मेरा जन्‍म हुआ। बालशेम तोव ने कहानी पूरी की।
      इस स्‍त्री ने कहा, बहुत खुब अब कल मैं भी एक सुंदर टोपी ले आती हूं, दूसरे दिन वह टोपी लेकर आई। बालशेम तोव ने उसे ले लिया। और धन्‍यवाद तक न दिया। स्‍त्री प्रतीक्षा करती रही। फिर उसने पूछा बच्‍चे के बारे में क्‍या।
      बालशेम ने कहां की बच्‍चें के बारे में भूल जाओं। टोपी इतनी सुंदर है कि मैं आभारी हूं। मुझे धन्‍यवाद करना चाहिए।। वह कहानी याद है। उस स्‍त्री ने बदले में कुछ नहीं मांगा इस लिए उसके बच्‍चा हुआ। और वह भी मेरे जैसा बच्‍चा।
      लेकिन तुम कुछ लेने की चाहत से आई हो। इस छोटी सी टोपी के बदले में तू बालशेम जैसा बेटा चाहती है।
      कई बातें ऐसी है जो केवल कहानियों द्वारा कहीं जा सकती है। बालशेम तोव ने बुनियादी बात कह दी: ''माँगों मत और मिल जायेगा।''
      मांग मत—यह मूल शर्त है।


ओशो, बूक्स हैव लव्ड (The baal shem Tov)से...